सही व्यक्ति का चुनाव

एक धनवान सेठ था| उसने गॉंव में एक मंदिर बनवाया| सारी व्यवस्था करने के बाद अब उस सेठ को एक ऐसे व्यक्ति की तलाश थी जो मंदिर की संपत्ति का प्रबंध करे और मंदिर के सब कामो को अच्छी तरह चलाता रहे| बहुत से लोग सेठ के पास आये लेकिन उस सेठ ने सबको लौटा दिया| वह सबसे कहता, “ मुझे एक भला आदमी चाहिए, मै उसको अपने आप छाट लूँगा” |
बहुत से लोग उसे गलिया देते, कुछ लोग उसे पागल, घमंडी कहते| लेकिन वह किसी की बात पर ध्यान नहीं देता| जब मंदिर के द्वार खुलते थे और लोग भगवान के दर्शनों के लिए आने लगते तब वह सेठ अपने घर की छत पर बैठकर मंदिर में आने वाले लोगो को चुपचाप देखा करता|
एक दिन एक व्यक्ति मंदिर में दर्शन करने आया| उसके कपडे फटे हुए गंदे मैले थे| वह बहुत ही गरीब सा दिख रहा था| जब वह भगवान के दर्शन करके जाने लगा, तब सेठ ने उसे अपने पास बुलाया और कहा, “ क्या आप इस मंदिर की व्यवस्था का काम करना पसंद करेंगे?
वह व्यक्ति आश्चर्य में पड गया| उसने कहा, “ मै तो अनपढ़ हु मंदिर का प्रबंध कैसे कर सकता हू ?
इस पर सेठ ने कहा, “ मुझे बहुत विद्वान नहीं चाहिए| मै तो एक भले आदमी की तलाश कर रहा था जो आपमें मुझे दिखा | मंदिर के रास्ते में एक ईट का टुकड़ा गडा रह गया था और उसका एक कोना ऊपर निकल रहा था | मैने उसे किसी को हटाते नहीं देखा| लेकिन आप ने उस टुकड़े को मजदूर से फावड़ा मांग कर उस टुकड़े को हटाया फिर उस भूमि को भी इकसार किया| जो लोग अपने कर्त्तव्य को जानने और पालन करने वाले होते है वही लोग भले आदमी होते है| इसलिए मै आपको ही मंदिर का प्रबंधक बनाना चाहता हू |
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