वास्तव में नोट बंदी क्या है

आज कल चारो तरफ नोट बंदी की ही बाते चलती है तो आईये जानते है नोट बंदी क्या है, ये क्यों होती है, इसका एक देश में क्या प्रभाव होता है, इसके पीछे देश की सरकार का क्या राज है, और ये ऐसा क्यों करती है?
नोट बंद करके नए नोट जारी करने को विमुद्रीकरण कहते है | जब किसी देश की सरकार किसी पुरानी मुद्रा को क़ानूनी तौर पर बंद कर देते है तो उसे विमुद्रीकरण कहते है| ऐसा करने के बाद उस मुद्रा की कुछ भी कीमत नहीं रह जाती| उसे हम काम में नहीं ले सकते| उससे हम कैसा भी लेन- देन, खरीद आदि नहीं कर सकते|सरकार के द्वारा बंद किये हुए नोटों को बैंको में बदलकर उनकी जगह नए नोट बदलवाने की समय सीमा होती है | हमे उसी दौरान अपने नोट बैंको में जाकर उन नोटों को जमा कराकर नए नोट में बदलवा लेने चाहिए नहीं तो पुराने नोट कागज का टुकड़ा बन जाते है|
आईये अब यह जानते है कि सरकार ऐसा क्यों करती है? मुद्रा की जमाखोरी( कालाधन) को समाप्त करने के लिए नोटों का विमुद्रीकरण किया जाता है| आतंकवाद, आपराध और तस्करी जैसे आपराधिक कामो में जहां बड़े पैमाने में नकद लेन – देन होता है और जब बाजार में नकली नोट अधिक मात्रा में बाजार में आ जाये तब सरकार इस प्रकार की जालसाजियो से बचने के लिए नयी तकनीक से तैयार, ज्यादा सुरक्षित नोट लाने पर भी सरकार पुराने नोटों का विमुद्रीकरण कर देती है|
भारत में पहली बार जनवरी वर्ष 1946 में 1000, 5000 और 10000 के नोटों का विमुद्रीकरण किया गया था| वर्ष 1938 में गठित भारतीय रिज़र्व बैंक ने अभी तक 10 हजार से अधिक का नोट नहीं जारी किया है |
उसके बाद 1978 में मोरारजी देसाई की सरकार ने एक कानून बनाकर 1000, 5000, 10000 के नोट बंद कर दिए|
ऐसे ही साल 2005 में मनमोहन सिंह की कोंग्रेसनित सरकार ने 500 रुपये के वर्ष 2005 से पहले के नोटों का विमुद्रीकरण कर दिया|
उसके बाद 8 नवम्बर 2016 को नरेन्द्र मोदी की सरकार द्वारा 500, 1000 के नोट बंद करके, और उसकी जगह उतने ही मूल्य के नए नोट जारी किये |
यह सब सरकार ने बाजार में चल रही नोटों की जमाखोरी और नकली नोटों को ख़त्म करने के लिए पुराने नोट बंद कर दिए|
हमें अपने देश में अपराध, आतंकवाद, तस्करी आदि को रोकने के लिए हमें सरकार को सहयोग करना चाहिए| यही राष्ट्रिय धरम है|
जय हिन्द, जय भारत ............................
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